श्री रामकथा में विदाई का प्रसंग सुन रोने लगा पूरा पंडाल






मऊ। श्री रामकथा के पांचवे दिन कथा वाचक आचार्य शान्तनु महराज ने आगे की कथा सीता स्वंबर से स्वंबर से आरंभ की जिसमे राम जी शिव धनुष तोड़ देते है धनुष टूटते ही पुष्प वर्षा होने लगती है जनकपुर में जयकारों का उद्घोष होने लगता है सारे देवी देवता प्रशंचित हो जाता है माता सीता वर माला लेकर आती है और राम जी को पहनाती है शिव धनुष तोड़ जाने के बाद परशुराम क्रोधित होकर स्वंबर स्थल पर पहुते है जहा परशुराम और लक्ष्मण संवाद होता है परशुराम को अत्यधिक क्रोधित देख कर उनके क्रोध को शांत करने के लिए राम जी स्वतः उनके सामने आते है और राम जी परशुराम को देखकर प्रणाम करते है राम को देखने के बाद परशुराम का क्रोध शांत हो जाता है और वे वापस चले जाते है। जिसके बाद दोनो भाई और गुरु राजा जनक से आज्ञा लेकर विदा हो जाते है और अयोध्या चले आते है कुछ समय उपरांत राजा दशरथ अयोध्यावासियों के साथ राम जी का विवाह सीता जी से करने के लिए जनकपुर के लिए चल देते है। जनकपुर पहुंचने के बाद राजा जनक बारातियों का खूब सादर सत्कार करते है और फिर दशरथ के चारो पुत्र को देख जनक जी अपने भाई की दो पुत्रियों सहित अपनी चारो पुत्रियों के विवाह का प्रस्ताव रखते है जिसे राजा दशरथ मान जाते है और चारो लोगो का विवाह हो जाता है चारो लोगो के विवाह के बाद विदाई का समय आते है जब सीता सहित उनकी तीनों बहनों का विदाई होता है तो पूरी जनकपुर रोने लगता है। विदाई का प्रसंग सुन कथा का सुन रहे लोगो रोने लगते है और सभी के आखों से आशु निकलने लगते है।



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