धनुष टूटते ही जनकपुर में मनने लगी खुशियां: शान्तनु महाराज
मऊ। श्री राम कथा के चौथे दिन शान्तनु महराज ने कथा में कहा की विश्वामित्र जी के साथ भगवान राम और लक्ष्मण जनकपुर में प्रवेश किए हैं जनकपुर क्या है जनकपुरी विशेष प्रकार का नगर है जिसमें साक्षात भक्ति महारानी बैठी और भगवान भक्ति को प्राप्त करने के लिए जा रहे हैं इसलिए जब भी जीवन में भक्ति अध्यात्म की यात्रा करनी हो तो गुरु का सानिध्य में चाहिए भगवान राम और लक्ष्मण जनकपुर भ्रमण के लिए गुरु की आज्ञा से चले और इनके इस रूप को देखकर पूरे जनकपुर में शोर हो गया भगवान ने सब को दर्शन देकर आनंदित किया पुष्प वाटिका के श्रृंगारिक प्रसंग को सुनाते हुए महाराज जी ने कहा पुष्पवाटिका वह स्थल है जहां पर भगवान और भक्ति का पहली बार मिलन हुआ जिनको भी भगवान का दर्शन करना है उनको बाग में आना ही पड़ेगा और बाग मानस में संतों की सभा को कहा है महाराज जी ने बताया कि भगवान और जानकी जी दोनों की अवस्था किशोरावस्था है और यह अवस्था जीवन की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे खतरनाक होता है इसलिए यह अवस्था सुधरे सदी रहे इसके लिए बालकों को गुरु पूजा एवं बालिकाओं को गौरी पूजा करना चाहिए गुरु यानी क्या गुरु यानी शुभ मर्यादा आज्ञाकारीता आदि ऐसे गुणवाचक शब्द जो भी हैं और गौरी अनी गुणों की खान वह पत्थर की प्रतिमा नहीं अपितु गौरी रानी गरिमा महिमा वात्सल्य करूना दया आदि रंगभूमि जब भगवान का प्रवेश हुआ तो सभी राजा अपनी अपनी भावना के अनुसार भगवान का दर्शन करने लगे धनुष यज्ञ के प्रसंग में महाराज जी ने कहा बहुत सारे राजाओं ने धनुष को तोड़ने का प्रयत्न किया लेकिन किसी से नहीं टूटा क्योंकि यह सभी ए राजा मोर थे और भगवान धनुष को क्षण भर में भी तोड़ दिए क्योंकि धनुष अहंकार का प्रतीक होता है और भगवान क्षणभर से कम में तोड़ देते हैं और भगवान के द्वारा धनुष टूटते ही सारे जग में शोर हो गया खुशियां मनाई जाने लगी और मानव धनुष टूटने के साथ ही भगवान का विवाह पूर्ण हो गया लक्ष्मण परशुराम संवाद को भी महाराज जी ने सुनाया अयोध्या से बारात आई और भगवान का सुंदर विवाह महाराज जनक के आंगन में हुआ आज भगवान और भक्ति का मिलन हो गया और सखियों ने मंगल गीत गाकर बधाई दी महाराज जी ने जानकी जी के विदाई के प्रसंग में कहा कि बेटियां ही घर की लक्ष्मी होती है जब बेटी विदा होती है कठोर से कठोर दिल का बाप रो पड़ता है क्यों क्योंकि बाप और बेटी का रिश्ता संसार में सबसे पवित्र है बाप बेटी से ही अपने मन की बात तथा बेटी बाप से ही अपने मन की बात करती है।