मनुष्य का नेचर और सिग्नेचर कभी भी नहीं बदलता है - प्रेमभूषण जी





 

 मनुष्य के स्वभाव अर्थात उसकी आदत को बदलना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है।  मनुष्य जैसा सोचता है, जो करता है, वह उसी तरह से उस आदत का गुलाम हो जाता है।
यह बात यहाँ सोनिधापा जीवनराम छात्रावास के मैदान में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने कही।
सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए विश्व प्रसिद्ध प्रेममूर्ति पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने श्री राम कथा के छठे दिन विभिन्न प्रसंगों का गायन करने के क्रम में कहा कि अगर हम परमार्थ पथ के यात्री हैं और दिन-रात भगवान में जुड़े रहते हैं, श्रेष्ठ की सेवा में जुड़े रहते हैं तो हमारी आदत में यह शामिल हो जाता है। कहावत है कि मनुष्य का नेचर और सिग्नेचर कभी भी नहीं बदलता है और यह केवल  कहावत ही नहीं है, यह प्रमाणित भी है कि जिनको राम कथा सुनने की ललक है, वह कथाओं के आयोजन में जाकर भी कथा सुनते हैं और आज जो टीवी या इंटरनेट की सुविधा है, ऐसे माध्यमों से भी भगवान की कथा और भजन सुनते हैं। जिसको भी सेवा, पूजा, साधना आदि परमार्थ से जुड़े कार्यों की आदत लग जाती है, वो फिर किसी बाधा के कारण रुकता नहीं है। 
महाराज श्री ने भगवान से माता शबरी की मुलाकात जी की कथा गाते हुए कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। 
साथ ही भगवान ने माता शबरी को जो नवधा भक्ति के बारे में बताया था, उसकी भी महाराज श्री ने विस्तार से व्याख्या की।
आयोजन में हजारों की संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी भजनों का आनन्द लेते और झूमते नजर आए। 
सर्वश्री   रितेश अगरवाल,  राधेश्याम जायसवाल,  श्रीमती शकुंतला खंडेलवाल,  गौतम शर्मा लखनऊ,  ज्योति आनंद सिंह,  राजेश कुमार पटेल,  अश्वनी कुमार राय,  अनूप परमानंदका  और जय कृष्ण उपाध्याय सपरिवार छठे दिन की कथा के मुख्य यजमान थे।  
सर्वश्री विमल श्रीवास्तव, ब्रजेश गुप्ता, राघवेन्द्र राय, अभिषेक खण्डेलवाल, संतोष अग्रवाल, ओमप्रकाश पांडेय, विनोद यादव, शिव कुमार सिंह, अरुण सिंह, नरेंद्र गुप्ता, प्रकाश चंद्र राय, सीताराम गुप्ता आदि के भगीरथ प्रयास से आयोजित इस सात दिवसीय रामकथा में हर रोज हजारों की संख्या लोग उपस्थित हो रहे हैं।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< यूपीसीए के लिए ट्रायल पंजीकरण एक अप्रैल से शारदा नारायन हॉस्पिटल में शुरू
जाने मऊ में डीआईजी ने किस थाने का किए वार्षिक निरीक्षण >>