क्या इस बार मुख्तार अंसारी के किले को भेद पायेगी भाजपा





विधानसभा चुनाव के शंखनाद के बाद नेता अपनी जीत की गोटी बैठाने में लगे है कि वे कैसे जीत कर विधानसभा पहुँचे। वही मऊ सदर विधान सभा की सीट पर बात की जाये तो मऊ की सदर सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाती है और मऊ जनपद के निमार्ण के बाद यहा पर कभी कमल नही खिला। 10वी,11वी, 12वी, विधानसभा को छोड़ दिया जाये तो मऊ की सदर सीट पर मुख्तार अंसारी ने 13वी विधानसभा मे बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर अपना दावा ठोका और विधानसभा चुनाव जीत गये।उसके बाद मुख्तार अंसारी ने कभी भी पिछे पलट कर नही देखा और सदर सीट पर लगातार 13वी विधान सभा से लेकर 17वी विधानसभा तक किसी दल या किसी दल के समर्थन से मऊ से लखनऊ तक का रास्ता तय करते रहे। 2017 के विधान सभा चुनाव में  भाजपा और सुभासपा ने गठबंधन कर सुभासपा को मऊ सदर सीट दी और सुभासपा ने अपना उम्मीदवार उतारा लेकिन उम्मीदवार सुभासपा का था मगर गठबंधन होने की वजह से भाजपा ने अपनी पुरी ताकत झोंक दी उसके बावजूद मुख्तार अंसारी चुनाव जीतने में कायमयाब रहा । एक बार फिर भाजपा को सदर विधानसभा सीट किसी से टक्कर मिल रही है तो वो मुख्तार अंसारी से मुख्तार अंसारी लगातार तीन बार से जेल में रहते हुये विधान सभा का चुनाव जीतते आ रहे है तो वही इस बार अभी तक मुख्तार  की तरफ से अपने पत्ते नही खोले गये है कि वो किस दल से उम्मीदवार होंगे या फिर निर्दल ही चुनाव लड़ेंगे। साथ ही मऊ की सदर सीट पर कमल खिल पायेगा या एक बार फिर मुख्तार अंसारी जेल से चुनाव जीत विधानसभा पहुँच जायेगे।



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