हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहि सुनहि बहुविधि सब संता - प्रेमभूषण जी






 कथा तो भगवान की ही सुनने लायक  है। हर जीव के पास उसकी कथा से ज्यादा उसकी व्यथा है।  प्रभु की कथा  हम जितनी बार सुनते हैं हमेशा नित्य नई लगती है और मन को शांति प्रदान करती है।
यह बात  सोनिधापा जीवनराम छात्रावास के मैदान में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा की पूर्णाहुति के अवसर पर व्यासपीठ से पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने कही।
सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए विश्व प्रसिद्ध प्रेममूर्ति पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने श्री रामकथा की पूर्णाहुति के क्रम में कहा कि  यह संसार मनुष्य के लिए कई प्रकार  की बाधाओं से भरा हुआ है। हर किसी के पास अपनी व्यथा की एक अलग ही कथा है, जिसे सुनकर हर किसी का मन विचलित होता है। लेकिन  जब हम प्रभु की कथा सुनते हैं, चाहे किसी भी विधि से सुनते हैं  तो मन में एक आनंद और नए उत्साह का निर्माण होता है।
सुग्रीव द्वारा माता सीता का पता लगाने से संबंधित संकल्प को सुनते हुए महाराज श्री ने कहा कि सुग्रीव का संकल्प राम जी के ही भरोसे है। क्योंकि वह तो बाली के द्वारा मारकर भगाए हुए हैं और खुद ही छिपकर रह रहे हैं।  फिर भी हमें यह प्रसंग बताता है कि  अगर कोई हम पर भरोसा करता है तो हम भाग्यशाली हैं। क्योंकि हम भरोसा करने लायक हैं।  साथ ही उस व्यक्ति के भरोसे की रक्षा करने का कर्तव्य भी बनता है और  अगर कोई इस भरोसे को तोड़ता है तो व्यवहार में इसे हम कृतघ्नता कहते हैं।
महाराज श्री ने कहा कि जीवन में कभी भी किसी कार्य के अपूर्ण होने से घबड़ाना नहीं चाहिए, क्योंकि  हर कार्य का एक निश्चित समय होता है।  और अगर किसी कारण से वह कार्य पूर्ण नहीं होता है तो भी मनुष्य को अपने प्रयास बंद नहीं करने चाहिए।  हमारे शास्त्र हमें सिखाते हैं कि जीवन में मनुष्य के लिए उसका श्रम और उसका कर्म ही उसके भविष्य का निर्माण करते हैं।
महाराजा सुग्रीव की ओर से कपिल सेना को दिए गए आदेश की चर्चा करते हुए महाराज श्री ने कहा कि  सुग्रीव ने खाली हाथ लौटने वालों को जान से मार देने का फरमान प्रभु श्री राम के सामने सुनाया ।   यह प्रसंग हमें दंड विधान की अनिवार्यता के बारे में बताता है।  जब तक मनुष्य के सामने किसी प्रकार के दंड का भय नहीं होता है तब तक वह अपने  लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिन से कठिन कार्य करने को तैयार नहीं दिखता है।  पहले विद्यालयों में शिक्षकों के भय से विद्यार्थी अपने गृह कार्य ठीक समय से और उचित ढंग से कर के ही उपस्थित होते थे। अब इस दंड विधान में आई कमी का परिणाम  हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।
महाराज श्री ने अरण्य कांड, सुन्दर कांड और लंका कांड की कथा का गायन करते हुये श्री राम जी के राज्याभिषेक की कथा सुनाई। आयोजन में हजारों की संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी भजनों का आनन्द लेते और झूमते नजर आए। महाराज श्री ने पुनः अगले वर्ष इसी जगह कथा गायन का आश्वासन भी दिया।
सर्वश्री  डॉक्टर संजय सिंह,  कैलाश जयसवाल, राजा ज्योति आनंद, आनंद सिंह, सचिंद्र सिंह, राजीव प्रकाश सिंह, एंथोनी अग्रवाल, मुन्ना गुप्ता, श्री राम जयसवाल, रामानुज सिंह, सुशील अग्रवाल और गोपाल राय सपरिवार कथा पूर्णाहुति सत्र के मुख्य यजमान थे।  
सर्वश्री विमल श्रीवास्तव, ब्रजेश गुप्ता, राघवेन्द्र राय, अभिषेक खण्डेलवाल, संतोष अग्रवाल, ओमप्रकाश पांडेय, विनोद यादव, शिव कुमार सिंह, अरुण सिंह, नरेंद्र गुप्ता, प्रकाश चंद्र राय, सीताराम गुप्ता आदि के भगीरथ प्रयास से आयोजित इस सात दिवसीय रामकथा में हर रोज हजारों की संख्या लोग उपस्थित रहे।



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