श्रेष्ठ व्यक्ति केवल अपयश से डरता है - प्रेमभूषण जी
मर्यादा में रहने वाला व्यक्ति या श्रेष्ठ व्यक्ति कभी भी साधन अथवा समस्या के लिए नहीं डरता है। वह अपने जीवन में केवल अपयश से ही डरता है। जीवन उसी का है जिसकी कीर्ति है। अपकीर्ति लेकर जीने वाला व्यक्ति मृतक के समान है।
यह बात यहाँ सोनिधापा जीवनराम छात्रावास के मैदान में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने कही।
सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए विश्व प्रसिद्ध प्रेममूर्ति पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने श्री राम कथा के पांचवें दिन श्री राम के वन गमन के प्रसंग पर चर्चा करते हुए महाराज श्री ने कहा कि ब्रह्म के पिता महाराज दशरथ ने जब देवी कैकेई के दोनों वरदान सुने तो उन्हें सबसे बड़ी चिंता अपने यश पर लगने वाले प्रश्न को लेकर ही हुई। हमारे समाज के श्रेष्ठ व्यक्ति अगर मानस की इस शिक्षा पर अमल करने लगें तो पूरे समाज का कल्याण हो सकता है।
महाराज श्री ने बताया कि प्रभु श्रीराम ने कभी भी यह बात नहीं कही कि उन्हें पिता जी ने वन भेजा है। रामजी तो एक ऐसे आज्ञाकारी पुत्र थे कि जिन्होंने वरदान मांगने के प्रसंग को सुना और पिता के वचन की रक्षा के लिये स्वयं वन गमन के लिए तैयार हो गए।
महाराज श्री ने आगे कथा के क्रम में निषाद राज गुह को लक्ष्मण जी के द्वारा दिए गए उपदेश की पूरी विस्तार से व्याख्या की और बताया कि यह प्रसंग गुहगीता के नाम से जाना जाता है। भारतीय सनातन सदग्रंथों में सप्त गीता की चर्चा है उसमें से एक यह गीता भी प्रचलित है। भैया लक्ष्मण जी ने निषाद राज राम जी के वास्तविक स्वरूप का परिचय दिया और बताया कि जो ब्रह्म हैं उनके बारे में हमें चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रभु स्वयं समर्थ हैं और लोक कल्याण के लिए धरती पर अवतरित हैं।
महाराज श्री ने भगवान से केवट जी के वार्तालाप की कथा गाते हुए कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। हजारों की संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी भजनों का आनन्द लेते और झूमते नजर आए।
सर्वश्री विजय अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, लाल बहादुर जायसवाल, विनोद यादव नंदकिशोर थरड़, संतोष जायसवाल, दामोदर थरड़, संतोष राजवती, अशोक कुमार, विनोद वर्मा, सीताराम गुप्ता और अभिचल पांडेय सपरिवार पांचवें दिन की कथा के मुख्य यजमान थे।
सर्वश्री विमल श्रीवास्तव, ब्रजेश गुप्ता, राघवेन्द्र राय, अभिषेक खण्डेलवाल, संतोष अग्रवाल, ओमप्रकाश पांडेय, विनोद यादव, शिव कुमार सिंह, अरुण सिंह, नरेंद्र गुप्ता, प्रकाश चंद्र राय, सीताराम गुप्ता आदि के भगीरथ प्रयास से आयोजित इस सात दिवसीय रामकथा में हर रोज हजारों की संख्या लोग उपस्थित हो रहे हैं। रामकथा की यह गंगा आगामी 30 मार्च तक प्रवाहित होगी।