जाने पूर्व मंत्री यशवंत सिंह पर है किसकी नजर
मऊ। चुनावी सरगर्मियां धीरे-धीरे बढ़ रही है। प्रत्याशी भी अपनी कमर कसकर जोर-जोर से प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक दल छोड़ दूसरे दल में आना जाना लगा हुआ है। आजमगढ़ वह घोसी में अपनी धमक रखने वाले पूर्व मंत्री व विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह इन दोनों राजनीति में अलग-थलग पड़े हुए समाजवादी पार्टी से विधान परिषद में सदस्य रहे यशवंत सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विधान परिषद भेजने के लिए अपनी सीट का त्याग कर दिया और भाजपा में शामिल हो गए। उनके त्याग को देखते हुए भाजपा ने अपने कोटे से पुनः विधान परिषद में भेजा। लेकिन कुछ समय बाद स्थानीय निकाय चुनाव में यशवंत सिंह के पुत्र ने ताल ठोक दी तो सियासी सरगर्मियां तेज हो गई। भाजपा ने यशवंत सिंह से अपने पुत्र का पर्चा वापस करने के लिए दबाव बनाया लेकिन वह दबाव कोई काम नहीं आया और श्री सिंह ने भाजपा से बगावत कर अपने पुत्र को निकाय चुनाव जीतने में सफलता हासिल कर की। जिससे नाराज भाजपा शीर्ष नेतृत्व में उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया वही अखिलेश यादव के विधानसभा जाने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए जहां धर्मेंद्र यादव और दिनेश लाल यादव के बीच कड़ा मुकाबला रहा। चुनाव के वक्त में यशवंत सिंह के आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में उपस्थित ने दिनेश लाल यादव निरहुआ की नया को पार लगा दिया। लेकिन धीरे-धीरे 2 साल गुजर गए और भाजपा का मोह यशवंत सिंह से ऐसा भंग हो गया कि भाजपा ने यशवंत सिंह के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए ऐसे में लोकसभा चुनाव का बिल्कुल बजने के बाद एक बार फिर यशवंत सिंह लगातार भाजपा में शामिल होने का प्रयास कर रहे लेकिन भाजपा उन्हें अपने दल में शामिल करने से कतरा रही। आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 25 मई को मतदान होगा तो घोसी में 1 जून को मतदान होगा अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। यशवंत सिंह किस दल को अपना समर्थन देते है। या इस चुनावी समर में कूद सकते है। वही घोसी और आजमगढ़ लोकसभा के प्रत्याशियों की नजर यशवंत सिंह पर बनी हुई है की वह किस तरफ अपना रूख करते है। दोनों की लोकसभा में यशवंत सिंह अच्छे खासे जनाधार वाले नेता माने जाते है।