विधायक व मंत्रियों के इस्तीफो को रोकने में फेल हो रहा भाजपा का शीर्ष नेतृत्व
विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रदेश का तापमान बढ़ा है जिस तरह से भाजपा सरकार के बड़े मंत्री और विधायको के इस्तीफो का दौर चल रहा है उससे इस ठंडी के मौसम में पुरी तरह से राजनीति और राजनीतिक दलों का तापमान गर्म है। वही बात करे 2017 की तो उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बना कर विधान सभा का चुनाव लड़ी। 2017 में भाजपा ने मुख्यमंत्री के नाम का एलान नही किया था और प्रदेश में भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 300 से अधिक सीटे जितने में कामयाब रही थी। 2017 में केशव प्रसाद मौर्य ने विधान सभा चुनाव के दौरान कई छोटे राजनीतिक दलों को अपने साथ मिलाया और अन्य दलों से बड़े नेताओं को भाजपा के साथ जोडा जिससे भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की और सरकार बनाने में कामयाब रही। 2022 के विधान सभा चुनाव की बात कि जाय तो 2022 में प्रदेश संगठन की कमान स्वत्रंत देव सिंह के हाथ में है तो वही सरकार की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथ मे मगर जिस तरह से भाजपा सरकार के मंत्री और विधायको का इस्तीफा देने का दौर चल रहा है और दोनों ही प्रदेश शीर्ष नेतृत्व इस टूट को नही रोक पा रहा है। जिस तरह से भाजपा के मंत्री व विधायक लगातार इस्तीफों का दौर चल रहा है ऐसा लग रहा कही न कही भाजपा की रणनीति फेल तो नही हो रही और भाजपा छोड़ने वाले नेताओं के साथ ऐसा क्या हुआ कि जिस भाजपा के बैनर तले विधायक व मंत्री बने और दुबारा चुनाव आते ही उसे अलविदा कह दिया।