देश भर में गूंजेगी ’चेतक की वीरता’ का प्रताप





 

*-पुरुषार्थ का प्रयास लाया रंग, एनसीईआरटी बोर्ड में चयनित हुई रचना*

मऊः ’’रणबीच चौकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था, राणा प्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था’’ महाकवि श्यामनारायण पांडेय कृत हल्दीघाटी में चेतक की वीरता नामक यह कविता एक समय पर जन-जन की जुबान पर थी। सभी बोर्डों में संकलित इस रचना को लगभग दो दशक पूर्व सभी पाठ्यक्रमों से निकाल दिया गया। धीरे-धीरे महाराणा प्रताप का शौर्य और चेतक की वीरता दोनों का प्रभाव घटने लगा। इस बीच गत डेढ़ दशक से महाकवि के साहित्य संसार को संकलित कर पंडित श्यामनारायण पांडेय ग्रंथावली का रुप देने वाले तमसा तट के गीतकार पुरुषार्थ सिंह का प्रयास रंग लाया है। एनसीईआरटी बोर्ड द्वारा कक्षा छह में चेतक की वीरता कविता को पुनः पाठ्यक्रम में चयन किया गया है। इसकी सूचना मिलते ही जनपद में हर्ष व्याप्त हो गया है। 

 इस संदर्भ में गीतकार पुरुषार्थ सिंह बताया कि राष्ट्रवाद को अपने लेखन का केंद्र बनाने वाले पंडित को सत्ता में बैठे कांग्रेस व वामपंथियों ने सभी पाठ्यक्रमों से हटा दिया। इस बीच उनकी अनेक कृतियां विलुप्त हो गईं। लगभग एक दशक के अथक प्रयास के बाद मेरे संपादन में प्रभात प्रकाशन द्वारा इसे ग्रंथावली का रुप दिया गया। इसके बाद यूपी बोर्ड, आईसीएसई व विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पंडित जी की रचनाओं को संकलित करने के लिए निरंतर प्रयास किया गया। इसी कड़ी में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद द्वारा संपर्क स्थापित पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का प्रयास रंग लाया। अगले सत्र से सीबीएसई बोर्ड की कक्षा छह में चेतक की वीरता नामक कविता का चयन कर लिया गया है। पंडित के साहित्य को पुर्नजीवित करने की दिशा में यह मिल का पत्थर सिद्व होगा। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर शारदा नारायण हास्टिल के निदेशक, प्रसिद्व चिकित्सक डॉ संजय सिंह, पंडित जी पत्नी रमावती पांडेय, पुत्रबधु गीता पांडेय, पौत्र प्रितेश पांडेय, दिवाकर पांडेय, पौत्री दिव्या पांडेय सहित वरिष्ठ साहित्यकार दयाशंकर तिवारी, राघवेंद्र प्रताप सिंह सहित अनेक साहित्यिक-सामाजिक संगठनों ने पुरुषार्थ सिंह को इस प्रयास के लिए बधाई देते हुए इस क्षण को जनपदीय साहित्य का गौरव बताया।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी, प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय का प्रशिक्षण 21 मई से 24 मई तक*
राजनीति में आखिरी वोट और क्रिकेट में आखिरी गेंद तक महत्वपूर्ण: राजीव राय  >>