गर्भवती महिलाओं को धूम्रपान से क्यो बचना चाहिये






लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष मार्च महीने के दूसरे बुधवार को ‘धूम्रपान निषेध दिवस’ मनाया जाता है। इस क्रम में राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 11 मार्च को धूम्रपान निषेध दिवस के अवसर पर जिला तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ एवं एनसीडी सेल के सहयोग से जन जागरूकता शिविर एवं हस्ताक्षर अभियान के साथ गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में विशेष रूप से ‘धूम्रपान से महिलओं और गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ने वाले प्रभाव और नुकसान’ के बारे में जानकारी दी गयी ।  
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान केवल गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए नहीं बल्कि मां के लिए भी बहुत घातक होता है। गर्भवती  को किसी भी प्रकार का धूम्रपान नहीं करना चाहिए साथ ही अगल-बगल अगर कोई धूम्रपान करता हो तो उससे भी दूरी बना लेनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान गर्भ में पल रहे बच्चे में विकृतियाँ  यानी कि चेहरे, मुंह और होठों के जन्म दोष का शिकार बनाने के साथ विकास मंदता और समय से पहले प्रसव का जोखिम बढ़ा देता  है।
सीएमओ ने बताया कि निकोटीन  गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क और फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। धूम्रपान करने से रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे कि बच्चे को कम आक्सीजन मिलती है और इसके हानिकारक परिणाम होते हैं। तम्बाकू का निकोटीन फैलोपियन ट्यूब में संकुचन का कारण बनता है जिससे कि निषेचित अंडे गर्भाशय में पहुंचने से रोकता है, जिसका परिणाम अस्थाई गर्भावस्था हो सकती है। धूम्रपान से महिला को गर्भधारण सब फर्टिलिटी या बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके लिए यह आवश्यक है कि गर्भधारण के समय या गर्भधारण कर चुकी महिलाएं दोनों धूम्रपान और करने वालों से भी दूरी बनाकर रखें।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी/वरिष्ट सर्जन/नोडल अधिकारी डॉ पी के राय ने बताया कि धूम्रपान के कारण प्रसव के समय अत्याधिक रक्त स्त्राव और गर्भावस्था की हानि या समय से पहले जन्म का कारण बन सकता है या इस समस्या के कारण सिजेरियन की आवश्यकता पड़ जाती है। धूम्रपान करने वाली या उसके बीच में रहने वाली  महिलाओं में समय से पहले डिलीवरी और कम वजन के शिशु होने की समस्या अक्सर सामने आती है। इसमें जन्मजात शिशु में न्यूरोडेवलपमेंट एब्नार्मेलिटी देखने और सुनने की क्षमता में कमी जैसी जटिलताएं भी शामिल होती है। जन्म से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों में इस तरह के जन्मजात दोषों का इलाज राष्ट्रीय स्वस्थ मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निःशुल्क किया जाता है। इसके इलाज का खर्च सरकार वहन करती है।
इस अवसर पर जिला तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ अश्वनी कुमार सिंह, सोशलवर्कर लक्ष्मीकांत, काउंसलर वीरेंदर यादव ने भी लोगों को जागरूक किया।



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