क्या एम एल सी यशवंत सिंह से भाजपा का मोहभंग हो गया है





लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे घोसी विधान सभा का उपचुनाव समाजवादी पार्टी व सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी इस सेमीफाइनल मानकर चल रही है और दोनो ही दल ने इस उपचुनाव को जीतने के पूरी तरह से कमर कस अपने रणबाकुरो को मैदान में उतार दिया है । सपा अपनी जीती सीट को किसी भी कीमत में भाजपा के हाथ में नहीं जाने देना जहा रही तो वही भाजपा इस सीट को जीत कर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक संदेश देना चाह रही है। वही भाजपा का दामन छोड़ने वाले तथा अन्य दलों में राजनीति करने वाले भाजपा में आ रहे है। भाजपा छोड़ सपा में जाने वाले दारा सिंह चौहान वापस भाजपा में आ गए और घोसी उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी है सपा के पूर्व विधायक उमेश चंद्र पांडे व सपा के जिलाउपाध्यक्ष रमेश दुबे भाजपा में शामिल हो गए। राजनीति में कब किसके लिए दरवाजा बंद हो जाएगा ये कोई नही जानता कुछ ऐसा ही हुआ है पूर्व मंत्री व विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह के साथ कभी भाजपा के कहने पर उन्होंने मुख्यमंत्री को विधान परिषद में भेजने के लिय अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। भाजपा ने उन्हें विधान परिषद में वापस भेज दिया। पुत्र को विधान परिषद में भेजने के चक्कर में यशवंत सिंह भाजपा के हाशिए पर चले गए और भाजपा ने उन्हें 6 वर्ष के पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। घोसी में हो रहे उप चुनाव में यशवंत समर्थको को आस दिखने लगी की एक बार फिर भाजपा में वापसी होगी। मगर भाजपा शायद अब यशवंत सिंह का निष्कासन रद्द करने के मूड में नहीं दिख रही है। वही लोकसभा चुनाव भी करीब है और यशवंत सिंह भी लोकसभा चुनाव के लिय जनसंपर्क शुरू कर दिया। सूत्र बताते है की यशवंत सिंह का निष्कासन रद्द नहीं हुआ तो वे किसी अन्य दल से चुनाव लड़ भाजपा के लिय मुश्किल पैदा कर सकते है।



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